Thursday, February 21, 2019

रोजगार


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आप अच्छी तरह जानते है हमारे भारत मे कितनी बेरोजगारी की समस्याये है। उसी बेरोजगारी को समाप्त करने के लिये मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ, मैं ये तो नही कह सकता कि बेरोजगारी पूरी तरह समाप्त कर सकता हूँ पर मैं इतना दावा के साथ कह सकता हुँ की फॉरेन लेंग्वेज एक इंजीनियरिंग करने से बहुत ही बेहतर हो सकता है क्योंकि आप किसी भी प्राइवेट संस्थान से इंजीनियरिंग करते है तो आपको मिनिमम आपको दस लाख तो लग ही जाना है जबकि आप फॉरेन लैंगवेज करने में सिर्फ आपको हजारो में ही खर्च करना पड़ेगा। 



जैसे कि आप जानते है कि जब पुरे संसार मे वैश्वीकरण होने के बाद फॉरेन लैंगवेज का डिमांड जोर सोर से बढ़ने लगा। तब हम सबके सामने आता है की आखिर भाषा क्या है? जैसे की मै खुद जर्मन भाषा से M.A किया हूँ जबकि मै B.A करने के बाद ही मुझे अच्छे-अच्छे जॉब का सुनहरा मैका मिलने लगा था पर मै बेहतर जॉब  की तलास में मैंने अपना पढाई  सुरु ही रखा ताकि मै और अच्चा  जॉब पा सकू। भारत मे बहुत सारी भाषाओ का प्रचलन दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि बहुत सारे देश भारत में अपना निवेश जोर सोर से कर रहे है । जिस कारण उनके  कम्पनी में काम करने वाले वाले  कर्मचारियों की संख्या भारी मात्रा में जरूरत पर रही है जिस कारण आपको रोजगार मिलने निस्चित है। 


 विदेशी भषाओं को सीखने की बढ़ती मांग ने कई भाषा शिक्षण संस्थानो को भी बढ़ावा दिया है । अगर आपको नई भाषाएं सीखना पसंद हैं, तो आप विदेशी भाषाओं को सीखकर उनमें अपना करियर बना सकते हैं। यदि आपको विदेशी भाषा आती है तो करियर को नई दिशा मिल सकती है  वर्तमान में व्यापर संबंधो के विस्तार ने भाषाओ के जानकारों की डिमांड बढ़ा दी है रशियन, जर्मन, चीनी, इटालियन, स्पेनिश, फ्रेंच, इंग्लिश आदि। 

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भारत के निम्न संस्थानों में भाषा की पढाई होते है


1. स्कूल ऑफ लैंग्वेज, जेएनयू नई दिल्ली


2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

3. बीएचयू, वाराणसी

4. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ


5. रामकिशन मिशन, कोलकाता


6. पुणे विश्वविद्यालय, पुणे


7. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर


8. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई


9. जैपानीज इंफार्मेशन एंड कल्चरर सेंटर नई दिल्ली


देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में  विदेशी भाषाओं से संबंधित पाठ्यक्रम कराये जाते हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालयों में  इन कोर्सो में प्रवेश देने का अलग-अलग तरीका  है। वैसे बाहरवीं उत्तीर्ण होना तथा अंग्रेजी का ज्ञान रखने वाले कैंडिडेट्स विदेशी भाषा संबंधी कोर्सो को सिखने में आसन होता है। कैंडिडेट्स यदि किसी भी विदेशी भाषा को सीखने के पहले उस देश की संस्कृति और रोजगार की संभावनाओं को समझ लेता है, तो उसके सफलता के चांसेज कई गुना बढ जाते हैं। विदेशी भाषा से संबंधित पाठ्यक्रम सामान्यत: तीन प्रकार के होते हैं, डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट। देश के अधिकतर संस्थानों में डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट के कोर्स हैं।


रेगुलर कोर्स क्या है 

यदि आप विदेशी भाषा सीखना चाहते हैं तो ऐसी भाषा का चयन करें जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं होने के साथ उसे आसानी से सीखा जा सके। किसी भाषा को सीखने के लिए किसी संस्थान में डिस्टेंस एजूकेशन प्रोग्राम को कतई न चुनें। क्योंकि भाषा बोलने एवं वार्तालाप के जरिए ही आसानी से सीखी जा सकती है। कोशिश करें विदेशी भाषा के पाठ्यक्रमों में नियमित पाठ्यक्रमों द्वारा ही सीखे।


करियर की संभावनाएं 

यदि आप किसी भी देश की भाषा को जानते हैं तो आप अनुवादक या दुभाषिया जैसा जॉब आसानी से पा सकते हैं। व्यापार संबंधों के विस्तार ने दुभाषिया एवं अनुवादकों की डिमांड बढा दी है। अनुवादक के अतिरिक्त टूरिस्ट गाइड, अध्यापन एवं विभिन्न एयरलाइंस में भी करियर बनाया जा सकता है। इसके अलावा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट, रिसर्च इंस्टीट्यूट, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, पुस्तक पब्लिकेशन, विदेशी कम्पनियों, होटल और पर्यावरण उद्योग तथा वाणिज्य व राजनयिक क्षेत्र में भी कॅरियर के गोल्डन चांसेज हैं।


दो भाषा जानने का लाभ 

किसी भाषा को संबंधित भाषा में ट्रांसलेशन करना एवं संबंधित भाषा को विदेशी में बदलने का कार्य  करता है। तत्काल एक भाषा को दूसरी भाषा में बदलता है। यह चुनौती से भरा कार्य है। यदि व्यक्ति में भाषा पर बढिया पकड एवं अभिव्यक्ति क्षमता नहीं है तो वह त्रुटियां करता रहेगा। थोडी से त्रुटि संबंधों में दरार डाल सकती है या फिर किसी देश की संस्कृति को  खराब कर सकती है। इसलिए विदेशी भाषा के जानकारों का उच्चारण बढिया और भाषा पर अच्छी नॉलेज होना चाहिए साथ ही साथ अच्छी पकर भी होनी चाहिए

अनुवादक क्या है 

एक अनुवादक कैटलॉग, पुस्तकों का अनुवाद, सामान्य पत्राचार, राजनीतिक भाषण, तकनीकी डेटा आदि को ट्रांसलेट करता है। अनुवाद एक कला है। जब तक यह कला आप में नहीं है आप अच्छे अनुवादक नहीं हो सकते, भले ही आप उसके जानकार हों। अनुवाद का कार्य बडी जिम्मेदारी का है। थोडी सी गलती अर्थ का अनर्थ कर सकती है।


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